चिन्ता , क्रोध , आतम , आतम , लोभ , उत्जेना , और तनाव हमारे शरीर के अंगों एवम नाड़ियो मे हलचल पैदा करते देते हैं , जिससे हमारी रक्त धमनियों मे के प्रकार के विकार हो जाते हैं । शारीरिक रोग इन्ही विकृतियों के परिणाम हैं । शारीरिक रोग मानसिक रोगों से प्रभावित होते है । अत्याधिक चिंता , निराशा , आत्म ग्लानी , उदासीनता , जरुरत से ज्यादा खुश दिखना , बहुत बोलना या एक दम चुप रहना , संदेह करना , आत्महत्या के प्रयास बीमारी के लक्षण है । बीमारी एक दिन मे अचानक नहीं आती हैं । हम पहले कि वर्ष तक अपने अंदर अपनी गलत आदतों से , आहार - विहार की भूलो से बीमारी को तयार करते रहते है । तब बीमारी चिह्नों { symptoms} के रूप मे प्रकट हो कर हमे बताती है कि शरीर मे बैचेनी { dis - ease } हैं । जन्म जात बीमारी को छोड़ कर रेकी के द्वारा सभी बीमारियों का इलाज संभव हैं । रेकी बीमारी के कारण को जड़ मूल से नष्ट करती हैं , स्वास्थ्य स्तर को उठाती है , बीमारी के लक्षणों को दबाती नहीं हैं । रेकी के द्वारा मानसिक भावनायो का संतुलन होता है और शारीरिक तनाव , बैचेनी व दर्द से छुटकारा मिलता जाता हैं ।
रेकी गठिया , दमा , कैंसर , रक्तचाप , फालिज , अल्सर , एसिडिटी , पथरी , बावासीर , मधुमेह , अनिद्रा , मोटापा , गुर्दे के रोग , आंखो के रोग , स्त्री रोग , बाँझपन , शक्तिन्युनता , पागलपन तक दूर करने मे समर्थ है । यदि बीमारी का इलाज शुरू मे ही कर लिया जाये तो रेकी शीघ्र रोग मुक्त कर देती हैं । ये मेरा व्यकिगत अनुभव है कि कई स्थानों से चिकित्सा से निराश रोगी ही रेकी उपचारक के पास आते हैं इसलिये रोगी को रेकी से तुरंत लाभ नहीं होता है और रोग ठीक होने मे ज्यादा समय लेता हैं ।